खानपान, जीवनशैली और पेट का कैंसर
कैंसर दुनिया भर में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। एक अनुमान के मुताबिक 2040 तक कैंसर के मामलों की संख्या दोगुनी हो जाएगी और कैंसर विश्व भर में मृत्यु का प्रमुख कारण बन जाएगा।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर यानी पेट के कैंसर विश्व स्तर पर सबसे आम कैंसर है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम के कैंसर में इसोफेगस (भोजन नली), स्टमक(आमाशय), बड़ी आंत, पित्ताशय, पित्त नली, पैंक्रियास (अग्नाशय), लिवर (यकृत) और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (GIST) के कैंसर शामिल हैं।
पेट का कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो समय पर पता न चलने पर जानलेवा भी साबित हो सकता है। पेट के कैंसर का पता हमें ज्यादातर देर से चलता है। किसी भी कैंसर के उपचार का परिणाम उसके चरण पर निर्भर होता है।
पेट के कैंसर के होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारणों में खानपान, जीवनशैली और पर्यावरण शामिल हैं।
खानपान
स्वस्थ एवं संतुलित खानपान हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पश्चिमी देशों में लगभग 30% कैंसर के लिए खानपान का असंतुलनजिम्मेदार है। पेट के कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले खानपान में मुख्य रूप से वसायुक्त और तले हुए खाद्य पदार्थ शामिल हैं।आजकल लोग जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड ज्यादा खाते हैं जो पेट कैंसर के मुख्य कारण होते हैं। प्रोसेस्ड फूड में चीनी अधिक और फाइबर एवं पोषक तत्व कम होते हैं। कुछ खाद्य पदार्थों को उच्च तापमान पर पकाने से, जैसे कि ग्रिल करना, तलना, भूनना और बारबेक्यू करना, हानिकारक रसायन उत्पन्न कर सकते हैं।
हमें स्वस्थ खाने की आदत डालनी चाहिए। हमें पौष्टिक आहार खाना चाहिए, जैसे कि फल, सब्जियां, अनाज, दूध, फाइबर से भरपूर फलियाँ और मटर आदि। अधिक मात्रा में लाल मांस और प्रोसेस्ड फूड से दूर रहना चाहिए।
जीवनशैली
अनियमित जीवनशैली और शारीरिक गतिविधि की कमी भी पेट के कैंसर के जोखिम को बढ़ाती है। आजकल बहुत से लोग व्यस्त रहते हैं या ऑफिस में बैठे रहते हैं जिससे उन्हें शारीरिक गतिविधि की कमी होती है।
धूम्रपान और शराब का सेवन कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। निकोटीन में 4,000 से अधिक रासायनिक यौगिक और 43 विभिन्न कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ होते हैं। शराब के सेवन से लिवर कैंसर और अन्य कई प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ता है।
मोटापा आज एक आम समस्या है। मोटापे से कई प्रकार के कैंसर जैसे की खाने की नली, बड़ी आंत, पित्ताशय, पेट, यकृत और अग्न्याशय के कैंसर होते हैं। जैसे जैसे मोटापा बढ़ता जाता हैं वैसे वैसे कैंसर का खतरा भी बढ़ता जाता है।
इसलिए हमें धूम्रपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए। नियमित व्यायाम करना और अपने वजन को नियंत्रण में रखना बहुत ही आवश्यक है।
पर्यावरण
भारी वायु प्रदूषण, धुएं और धूल का अधिक सेवन, पर्यावरण में मौजूद कुछ रसायन भी पेट के कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।
चेतावनी के संकेत
पेट के कैंसर को शुरुआती अवस्थाओं में अधिकतर लोगों में पहचानना मुश्किल होता है। इसलिए हमें इसके लक्षणों को समझना चाहिए।
पेट एवं आंत के रोगों और कैंसर के लक्षणों में शामिल है:
- खाना निगलने में कठिनाई
- पेट में हमेशा दर्द रहना
- बार-बार उल्टी होना एवं जी मिचलाना
- अपने आप वजन घटना
- भूख न लगना
- उल्टी में रक्त
- मल में रक्त
- आंत्र की आदतों में बदलाव (लगातार दस्त या कब्ज रहना)
- लगातार पेट की परेशानी
- पेट साफ़ ना होना
- कमजोरी या थकान महसूस करना
- लगातार अपच रहना
- सीने में काफी जलन होना
- पीलिया और खुजली
- मधुमेह की शुरुआत
- पेट में गांठ
- आवाज में बदलाव।
पेट के कैंसर का इलाज
पेट के कैंसर का इलाज उसके स्टेज पर निर्भर करता है। अगर कैंसर शुरुआती स्टेज में है, तो इसका इलाज सर्जरी से किया जा सकता है। अगर कैंसर ज्यादा बढ़ चुका है, तो इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी जाती है।
पेट के कैंसर से बचाव
पेट के कैंसर से बचाव के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे:
- धूम्रपान और शराब का सेवन न करें।
- वसायुक्त और तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें।
- ताजे फलों, सब्जियों और साबुत अनाज का भरपूर सेवन करें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- अपने वजन को नियंत्रित रखें।
- हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाएं।
- कोलोरेक्टल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग करवाएं।
- नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं।
पेट के कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर समय पर इसका पता चल जाए, तो इसका इलाज संभव है। इसलिए, अगर आपको चेतावनी वाले कोई लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
सतर्क रहें, स्वस्थ रहें और खुश रहें!