Hindi

क्या बायोप्सी से कैंसर फैलता है?

बायोप्सी से कैंसर फैलता है?

आपने सुना होगा कि बायोप्सी से कैंसर फैलता है। हम इस लेख में देखेंगे कि मेडिकल रिसर्च इस विषय में क्या कहता है। हम मेडिकल साक्ष्यों की जांच करेंगे और बायोप्सी  के जोखिमों और लाभों पर चर्चा करेंगे।

बायोप्सी क्या है?

बायोप्सी कैंसर की निर्णायक डायग्नोसिस के लिए की जाती है। बायोप्सी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ट्यूमर से कोशिकाओं या ऊतक का एक छोटा सा नमूना लिया जाता है। फिर पैथोलॉजिस्ट उसे माइक्रोस्कोप में जांच कर कैंसर की उपस्थिति के बारे में बताते हैं। पैथोलॉजिस्ट कैंसर की कोशिकाओं और ऊतकों के विशेषज्ञ होते है।

मुझे बायोप्सी की आवश्यकता क्यों है?

बायोप्सी से डॉक्टरों को कैंसर की सटीक डायग्नोसिस करने और उपचार का सर्वोत्तम तरीका निर्धारित करने में मदद मिलती है। बायोप्सी के बिना, कैंसर की डायग्नोसिस करना और उपचार का तरीका निर्धारित करना मुश्किल हो सकता है।

क्या हमें हमेशा बायोप्सी की आवश्यकता होती है?

सामान्यतः, पाचन नली के कैंसर (भोजन-नली, आमाशय और कोलोरेक्टल कैंसर) की हमेशा बायोप्सी की जाती है, क्योंकि बायोप्सी एंडोस्कोपिक रूप से प्राप्त की जा सकती है। एंडोस्कोपिक बायोप्सी में ट्यूमर के फैलने का कोई खतरा नहीं होता है।

पेट के अन्य कैंसरो॔ के इलाज के लिए बायोप्सी की हमेशा आवश्यकता नहीं होती है। विशेष रूप से, मरीज के उपचार में पहला कदम यदि सर्जरी है तो डायग्नोसिस CT, MRI या PET स्कैन पर की जा सकती है। उदाहरण के लिए, पित्ताशय (gallbladder), अग्न्याशय (pancreas) और लीवर ट्यूमर की सर्जरी से पहले बायोप्सी की हमेशा आवश्यकता नहीं होती है।

हम बायोप्सी कैसे करते हैं?

बायोप्सी कई तरीकों से की जाती है। बायोप्सी की तकनीक कैंसर के स्थान और प्रकार पर निर्भर करती है। यदि कैंसर पाचन नली जैसे कि भोजन-नली, आमाशय, बड़ी आंत या  रेक्टम में हो तो बायोप्सी एंडोस्कोपी द्वारा की जाती है। लीवर, पित्ताशय और अग्नाशय जैसे पेट के अन्य ठोस अंगों में जब कैंसर होता है तो नमूना ट्रूकट (Trucut) बायोप्सी और फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी (FNAC) से प्राप्त किया जाता है।

फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी (FNAC) एक छोटी सी प्रक्रिया है जिसमें एक पतली, खोखली सुई को गांठ में डाला जाता है और कोशिकाओं का एक नमूना लिया जाता है। ट्रुकट बायोप्सी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जांच के लिए एक विशेष सुई या उपकरण का उपयोग कर संदिग्ध गांठ से ऊतक के एक छोटे से हिस्से को निकाला जाता है।

बायोप्सी से क्या खतरा है?

बायोप्सी के संभावित खतरे बायोप्सी के प्रकार और कैंसर के स्थान पर निर्भर करते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ बायोप्सी प्रक्रियाओं में रक्तस्राव या संक्रमण (इन्फेक्शन) का खतरा हो सकता है, जबकि अन्य में आस-पास के ऊतकों या अंगों को चोट पहुंचने की संभावना हो सकती है।

हम यहां जिस बात पर चर्चा कर रहे हैं वह है कैंसर फैलने का खतरा। सैद्धांतिक रूप से, बायोप्सी नमूना एकत्र करने के लिए उपयोग की जाने वाली सुई कैंसर कोशिकाओं को विस्थापित कर सकती है और फैला सकती है।  ये कोशिकाएं सुई के मार्ग पर प्रत्यारोपित होकर नए ट्यूमर का विकास कर सकती हैं। इसे ट्यूमर सीडिंग या नीडल सीडिंग कहा जाता है।

ट्यूमर सीडिंग या सुई सीडिंग एक दुर्लभ घटना है जिसे अध्ययन में कुछ ही मामलों में पाया गया है। हालांकि, यह जोखिम बेहद ही छोटा है और अगर आवश्यक हो तो बीओप्सी प्रक्रिया का फायदा इस खतरे से बहुत ज्यादा है। अधिकांश मेडिकल शोधों में पाया गया है कि बायोप्सी के दौरान ट्यूमर के फैलने का जोखिम काफी कम होता है। 

बायोप्सी के कारण कैंसर फैलने का जोखिम बायोप्सी और उपचार के बिना कैंसर फैलने के जोखिम से बहुत कम है।

बायोप्सी से कैंसर फैलने के बारे में शोध क्या कहता है?

कुल मिलाकर, विभिन्न अध्ययनों और रिपोर्टों से पता चलता है कि बायोप्सी के दौरान ट्यूमर के फैलने का जोखिम कम है और बायोप्सी के लाभ जोखिमों से अधिक हैं। 2015 में अध्ययनों की एक समीक्षा प्रकाशित हुई थी जिसमें पाया गया कि नीडल-ट्रैक सीडिंग की घटना 1% से कम थी। गट नामक एक प्रतिष्ठित जर्नल में 2015 में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि बायोप्सी अग्नाशय कैंसर के रोगियों में मृत्यु दर के को नहीं बढाती है।  बल्कि, बायोप्सी समग्र जीवित रहने की दर को थोड़ा बढ़ाती ही है। अन्य अध्ययन, जैसे कि अग्नाशय और मूत्राशय के कैंसर के रोगियों में किए गए अध्ययनों से यह भी पता चला है कि बायोप्सी से कैंसर फैलने का खतरा बहुत अधिक नहीं बढ़ता है।

कुल मिलाकर, बायोप्सी के दौरान सुई द्वारा कैंसर का फैलना असंभव नहीं है, लेकिन दुर्लभ है।

बायोप्सी कराना क्यों महत्वपूर्ण है?

बायोप्सी निश्चित रूप से यह जानने का सबसे अच्छा तरीका है कि आपको कैंसर है या नहीं। अल्ट्रासाउंड, CT, MRI और PET-CT स्कैन डॉक्टर को बता सकते हैं कि कोई गांठ संदिग्ध दिखती है या नहीं। लेकिन ज्यादातर मामलों में, कैंसर की निश्चित डायग्नोसिस करने का एकमात्र तरीका बायोप्सी करना है।

कभी-कभी, बायोप्सी से पता चलता है कि संदिग्ध गांठ में केवल गैर-कैंसरयुक्त कोशिकाएं हैं। इसका मतलब यह हो सकता है कि आपको सर्जरी, विकिरण चिकित्सा, या कीमोथेरेपी जैसे उपचार की आवश्यकता नहीं है। बायोप्सी यह भी बता सकती है कि ट्यूमर के अंदर किस प्रकार की कैंसर कोशिकाएं हैं और इससे इलाज के तरीके निर्धारित होते हैं । अन्य समय में, बायोप्सी डॉक्टर को बता सकती है कि कैंसर कितना आक्रामक प्रतीत होता है और रोग का विस्तार कितना है। बायोप्सी कैंसर के चरण और ग्रेड को बताती है। यह सारी जानकारी कैंसर के इलाज के लिए सर्वोत्तम तरीका निर्धारित करने में मदद करती है।

इसलिए, यदि आपके ऑन्कोलॉजिस्ट बायोप्सी की सिफारिश करते हैं, तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह प्रक्रिया कैंसर के सटीक डायग्नोसिस और उपचार के लिए आवश्यक हो सकती है। बायोप्सी के कारण कैंसर फैलने का जोखिम छोटा है, और इस प्रक्रिया के लाभ किसी भी संभावित जोखिम से अधिक हैं।

सतर्क रहें! स्वस्थ रहें! और खुश रहें!

About Author

Dr. Nikhil Agrawal
MS, MCh

This site helps you understand the disease process, best treatment options and outcome of gastrointestinal, hepatobiliary and pancreatic diseases and cancers. Dr. Nikhil Agrawal is Director of GI-HPB Surgery and Oncology at Max Superspeciality Hospital Saket, New Delhi and Max Hospital, Gurugram in India.