भोजन-नली (खाने की नली) का कैंसर
Esophageal (food pipe) cancer Hindi
खाने की नली में गांठ
ग्रासनली (Esophagus)
oesophagus या food pipe को हिंदी में ग्रासनली, भोजन-नली, खाने की नली या आहार-नली कहते हैं। यह मांसपेशियों की एक नली है जो हमारे पाचन तंत्र में गले को पेट से जोड़ती है। यह आपके द्वारा निगले गए भोजन को पेरिस्टलसिस (आंतों की गतिविधि जो भोजन को आगे बढ़ाती है) के माध्यम से मुंह से पेट तक पहुंचाती है।
भोजन-नली की दीवार ऊतक की कई परतों से बनी होती है। कैंसर तब होता है जब शरीर में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है। खाने की नली के कैंसर की शुरुआत भोजन - नली की सबसे भीतरी परत में होती है। यह कैंसर पहले भोजन - नली की दीवार में, फिर आसपास के लिंफ नोड्स में और फिर पूरे शरीर में फैलता है। यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाया जाता है।
आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि वैश्विक स्तर पर कैंसर से होने वाली मौतों के पीछे एसोफैगल कैंसर छठा सबसे आम कारण है।
एसोफैगल कैंसर के प्रकार
एसोफैगल कैंसर को माइक्रोस्कोपिक परीक्षण (हिस्टोपैथोलॉजी) और एसोफैगस में ट्यूमर के स्थान के आधार पर विभाजित किया जा सकता है।
हिस्टोपैथोलॉजी: एडेनोकार्सिनोमा और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा
स्थान: ऊपरी, मध्य और निचले एसोफैगस का कैंसर
एसोफैगल कैंसर के कारण और जोखिम कारक (risk factors)
कभी-कभी कोशिका विभाजन के दौरान एक स्वस्थ कोशिका के डीएनए में बदलाव आ जाता है। इससे उस कोशिका में अनियंत्रित विकास होने लगता है और कैंसर बनता है।
जिस किसी भी चीज से किसी को कैंसर होने का खतरा बढ़ता है, उसे जोखिम कारक कहते हैं। जोखिम कारक बीमारी कराता नहीं है यह केवल जोखिम को बढ़ाता है।
ऐसा माना जाता है कि एसोफैगस की अंदर की परत (म्यूकस परत) में लगातार जलन पैदा करने वाला कोई भी कारण कोशिकाओं में कैंसर संबंधी परिवर्तन ला सकता है।
भोजन-नली के कैंसर के जोखिम कारक हैं:
- धूम्रपान
- खाने की नली में खाना ऊपर लौटना, गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD)
- मोटापा
- शराब का सेवन
- बहुत गर्म तरल पदार्थ पीना
खाने की नली में कैंसर के लक्षण
पेट के बाकी कैंसर की तरह खाने की नली के कैंसर के भी शुरुआती चरणों में सामान्यतः कोई लक्षण नहीं होते हैं।
भोजन-नली के कैंसर के लक्षणों में शामिल है:
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खाना निगलने में कठिनाई (डिस्फेजिया)
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वजन कम होना
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छाती में दर्द
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अपच या सीने में जलन
ध्यान दें कि इनमें से कई लक्षण भोजन-नली कैंसर के अलावा अन्य बीमारियों में भी हो सकते हैं।
एसोफैगल कैंसर की जांच (डायग्नोसिस)
स्वास्थ्य परीक्षण
एक चिकित्सक द्वारा लक्षणों को समझना और संकेतों की जांच करना बीमारी तक पहुंचने के लिए जरूरी है।
एंडोस्कोपी
एंडोस्कोपी से एसोफैगल कैंसर का पता चलता है।
एंडोस्कोप एक लचीली पतली ट्यूब होती है, जिसमें एक कैमरा होता है। यह आपकी खाने की नली के अंदर की छवि को एक मॉनिटर पर प्रसारित करती है। यदि कोई असामान्यता मिलती है, तो उसमें से एक छोटा सा नमूना भी लिया जाता है, जिसे बायोप्सी कहा जाता है।
बायोप्सी
बायोप्सी का अर्थ है कि ट्यूमर के एक छोटे से हिस्से का नमूना लेना और माइक्रोस्कोप के द्वारा इसकी जांच करना। यह एक पैथोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है। यदि आवश्यक हो तो बायोप्सी नमूनों पर जीन परीक्षण भी किया जा सकता है।
भोजन-नली के कैंसर का प्रसार निर्धारित करना (चरण; स्टेजिंग)
कैंसर की गांठ से कैंसर कोशिकाएं निकलती है और शरीर में तीन प्रकार से फैलती हैं;
- रक्त के माध्यम से
- लिंफेटिक के माध्यम से
- सीधे आसपास के उत्तकों में
कैंसर का फैलाव स्थानीय हो सकता है, एसोफैगस, उसके आसपास के उत्तकों में और लिंफ नोड्स में। या दूरवर्ती हो सकता है , लिवर, फेफड़े और पेट के अंदर की परत (पेरीटोनियम) में। कैंसर जब दूर के अंगों में फैल जाता है तो उसे मेटास्टैसिस कहते हैं।
स्टेजिंग से बीमारी के प्रसार का पता चल रहा है। पेट के कैंसर का पता चलने के बाद, हम यह पता लगाने के लिए परीक्षण करते हैं कि ट्यूमर कितना फैल गया है।
इसके लिए निम्नलिखित जांचों में से हम कुछ टेस्ट करते हैं।
रक्त परीक्षण: रक्त में विभिन्न प्रकार के तत्वों की जांच की जाती है। कुछ रोगियों में एनीमिया (कम हीमोग्लोबिन) होता है। इसके अलावा, लिवर और किडनी के टेस्ट भी किए जाते हैं।
कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT) स्कैन: इस टेस्ट में मरीज को एक सीटी स्कैनर में रखा जाता है। फिर एक्स-रे की किरणें चारों तरफ से अंदरूनी अंगों की छवि लेती है। कंप्यूटर इन छवियों को विकसित कर हमें अंदरूनी स्थिति के बारे में सटीक जानकारी देते हैं। कंट्रास्ट का इंजेक्शन देने से हमें बेहतर छवि मिलती है।
पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी (PET) स्कैन: कैंसर कोशिकाएं ग्लूकोज ज्यादा मात्रा में लेती हैं। इस टेस्ट में रेडियोएक्टिव ग्लूकोज (18एफ-फ्लोरोडीऑक्सी; FDG) का इंजेक्शन देते हैं। यह रेडियोएक्टिव ग्लूकोज ट्यूमर में चला जाता है जिसे हम स्कैनर से देख सकते हैं।
ये टेस्ट्स हमें कैंसर को एक चरण प्रदान करने में मदद करते हैं।
मोटे तौर पर हम कैंसर को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं:
- स्थानीय - कैंसर उस अंग तक सीमित है जिसमें यह शुरू हुआ था।
- स्थानीय प्रसार - कैंसर आसपास के लिम्फ नोड्स में फैल गया है या उस अंग की दीवार से बाहर आ गया है जिसमें यह शुरू हुआ था।
- दूर तक फैला हुआ - कैंसर दूर के अंगों तक फैल गया है, जो ट्यूमर की उत्पत्ति के अंग से दूर है। इसे मेटास्टेसिस कहा जाता है।
TNM (ट्यूमर, नोड और मेटास्टेसिस) वर्गीकरण
यह वर्गीकरण अमेरिकन जॉइंट कमेटी ऑन कैंसर (AJCC) द्वारा विकसित किया गया है। इसका उपयोग कैंसर की स्टेज के सटीक वर्गीकरण के लिए किया जाता है। यह निम्नलिखित तीन प्रमुख तत्वों पर आधारित है और स्टेज I से लेकर IV तक होता है।
- ट्यूमर की माप (T): कोलन की परतों में कैंसर कितनी दूर तक बढ़ गया है? क्या कैंसर आस-पास की संरचनाओं या अंगों तक पहुंच गया है?
- पास के लिम्फ नोड्स (N) में फैला हुआ: क्या कैंसर पास के लिम्फ नोड्स में फैल गया है? और कितने लिंफ नोड्स में?
- दूर के अंगों तक फैला हुआ (मेटास्टेसिस) (M): क्या कैंसर दूर के लिम्फ नोड्स या दूर के अंगों जैसे लिवर या फेफड़ों में फैल गया है?
टी, एन और एम के आगे संख्या और अक्षर लिखे जाते हैं जो और ज्यादा विवरण देते हैं। संख्या जितनी अधिक होती है कैंसर उतना ही बढ़ा हुआ होता है। टी, एन और एम से मिली जानकारी को मिलाकर हम कैंसर को एक चरण प्रदान करते हैं। कोलोरेक्टल कैंसर चरण I से IV तक होता है।
चरण I से III तक स्थानीयकृत रोग होता है और चरण IV फैला हुआ कैंसर (मेटास्टैटिक रोग) है।
कैंसर से उबरने की संभावना इलाज के समय कैंसर के चरण पर निर्भर करती है। जितना कम चरण उतनी बेहतर संभावना।
एसोफैगल कैंसर का उपचार
किसी भी कैंसर का उपचार उसके चरण और स्थान पर निर्भर करता है। साथ में रोगी की फिटनेस भी देखी जाती है।
स्थानीय कैंसर का उपचार
ऊपरी एसोफैगल कैंसर का इलाज़ कीमोथेरेपी एवं रेडियोथेरेपी से होता है।
मध्य और नीचे के एसोफैगल कैंसर का इलाज़ सर्जरी से होता है। सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी को संयोजित किया जाता है जिसे मल्टीमॉडल उपचार कहते हैं। वर्तमान में एसोफैगल कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी या कीमोरेडिओथेरपी पहले दी जाती है जिसे नियोएडजुवेंट (neoadjuvant) उपचार कहा जाता है, इसके बाद सर्जरी की जाती है। बहुत ही शुरुआती चरणों में सीधे सर्जरी करते हैं।
बढे हुए कैंसर का उपचार
जब यह कैंसर काफी बढ़ जाता है या फैल जाता है तो इसका उपचार कीमोथेरेपी (± रेडियोथेरेपी / इम्मुनोथेरपी) से करते हैं। कीमोथेरेपी जीवन को लम्बा करने के साथ-साथ रोगसूचक राहत भी प्रदान कर सकती है।
निगलने में कठिनाई (डिस्फेगिया) का इलाज एसोफेजियल स्टेंट डालकर किया जाता है।
कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग करती है। बेहतर परिणाम के लिए कई दवाओं को एक साथ दिया जाता है। इन्हें एक चक्र के रूप में विशिष्ट दिनों पर एक विशिष्ट क्रम में दिया जाता है। रेडियोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च शक्ति वाली एक्स-रे किरणों का उपयोग है। इम्मुनोथेरपी कैंसर से लड़ने के लिए रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनिटी) का उपयोग करता है।
ग्रासनली के कैंसर के लिए सर्जरी
एसोफैगल कैंसर की सर्जरी को एसोफेजक्टोमी कहते हैं। इसमें भोजन-नली को आसपास के लिम्फ नोड्स के साथ हटाया जाता है। फिर अमाशय (पेट) का उपयोग कर खाने के रास्ते को फिर से बनाया जाता है।
एसोफैगल कैंसर के ऑपरेशन करने के दो तरीके हैं;
- ओपन, और
- लेप्रोस्कोपिक या रोबोटिक
ओपन सर्जरी में, पेट में एक लंबा चीरा लगाया जाता है।
ग्रासनली के कैंसर के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी ऑपरेशन करने की एक विशेष तकनीक है, जिसे की-होल सर्जरी, मिनिमली इनवेसिव सर्जरी या मिनिमल एक्सेस सर्जरी के रूप में भी जाना जाता है। इसमें, बड़े चीरे के बजाय, आपके पेट के ऊपर छोटे छोटे छेदों द्वारा विशेष उपकरणों और एक कैमरे को डाल कर ऑपरेशन किया जाता है। ये उपकरण विशेष बनावट से पतले एवं लम्बे बनाये जाते हैं। कैमरा एक बड़ी स्क्रीन पर आपके पेट के अंदर की उच्च रिज़ॉल्यूशन छवियों को प्रोजेक्ट करता है, जिसे देख कर सर्जन पेट के अंदर ऑपरेशन करते हैं।
ग्रासनली के कैंसर के लिए रोबोटिक सर्जरी
रोबोटिक सर्जरी, एक सर्जन के कौशल और विशेषज्ञता को रोबोटिक तकनीक की स्पष्टता, सटीकता और लचीलेपन के साथ जोड़ता है। रोबोटिक प्रणाली में स्पष्ट और बेहतर दृष्टि के लिए 3डी हाई-डेफिनिशन कैमरा सिस्टम है। इसमें एक सर्जिकल कंसोल होता है, जहां सर्जन बैठता है, और सर्जिकल उपकरणों से सुसज्जित रोबोटिक सिस्टम होता है। उपकरण तंग जगहों में उस तरह से मुड़ सकते हैं और घूम सकते हैं जिस तरह से मानव हाथ नहीं घुमा सकता है।
रोबोटिक एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लाभ
पेट की ओपन सर्जरी में बड़ा चीरा लगता है और इसकी वजह से ठीक होने में वक़्त लगता है और अस्पताल में लंबे समय तक रहना पड़ता है। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी का अर्थ है "कम दर्द", "न्यूनतम निशान" और "तेज़ रिकवरी"। आईसीयू और अस्पताल में कम रहना पड़ता है। बड़े मॉनिटर पर पेट के अंदर का दृश्य बड़ा होने के कारण सर्जरी के दौरान रक्त की हानि कम होती है। आप जल्दी से चलना और मुँह से खाना शुरू कर सकते हैं। ओपन सर्जरी की तुलना में इन्फेक्शन और हर्निया का खतरा भी कम होता है।
एसोफैगल कैंसर का निदान (Prognosis)
सर्वाइवल रेट्स
कैंसर के इलाज के बाद जीवित रहने की संभावना को 5-साल सर्वाइवल रेट्स (5-year survival rates) में मापा जाता है। यह इलाज के बाद कैंसर से छुटकारा पाने और जीवित रहने की संभावना को दर्शाता है। सर्वाइवल रेट कैंसर के प्रकार और स्टेज पर निर्भर करता है।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, एसोफैगल कैंसर का पता चलने के बाद कम से कम पांच साल तक जीवित रहने वाले लोगों का प्रतिशत एसोफैगस में स्थानीय कैंसर के लिए 43%, क्षेत्रीय स्तर पर फैलने वाले कैंसर के लिए 23% और दूर तक फैले कैंसर के लिए 5% है।
सतर्क रहें! स्वस्थ रहें! और खुश रहें!
About Author
Dr. Nikhil Agrawal
MS, MCh
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