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पित्ताशय का कैंसर
Gallbladder cancer in Hindi

पित्ताशय (Gallbladder)

पित्ताशय एक नाशपाती के आकार का अंग है जो आपके ऊपरी पेट में दाहिने तरफ, लिवर के नीचे और पसलियों के पीछे होता है। यह पित्त को संग्रहीत करता है, गाढ़ा करता है और जब हम खाना खाते हैं तो उसे छोड़ देता है। पित्त लिवर द्वारा निर्मित एक पाचक रस है। पित्ताशय पित्त नली (CBD) नामक एक पतली ट्यूब के माध्यम से लिवर और आंत से जुड़ा होता है। पित्त नली (CBD) पित्त को लिवर और पित्ताशय से छोटी आंत तक ले जाती है।

पित्ताशय का कैंसर

कैंसर तब शुरू होता है जब कोशिका के डीएनए में कोई त्रुटि (म्यूटेशन) आ जाती है। ये कोशिकाएं फिर अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं और बढ़ती रहती हैं। ये कोशिकाएं मिल कर कैंसर बनाती हैं। पित्ताशय का कैंसर पित्ताशय की भीतरी परतों में शुरू होता है। यह फिर बढ़ता है और फैलता है। यह पहले पित्ताशय की दीवार में बढ़ता है और फिर बढ़ कर आस पास के उत्तकों और लिम्फ नोड्स में फैल जाता है। बाद में ये जिगर (यकृत), फेफ़ड़े, पेरिटोनियम और शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैल जाता है।

पित्ताशय का कैंसर पेट के कैंसरों में सबसे आक्रामक कैंसर में से एक है। भारत में इस बीमारी के होने की दर दुनिया में सबसे अधिक है।

पित्ताशय के कैंसर के कारण और जोखिम कारक (risk factors)

जिस किसी भी चीज से किसी को कैंसर होने का खतरा बढ़ता है, उसे जोखिम कारक कहते हैं। जोखिम कारक बीमारी करता नहीं है यह केवल जोखिम को बढ़ाता है। कुछ लोगों में कई जोखिम कारक होने के बावजूद कैंसर नहीं होता, जबकि कुछ लोगों को कोई जोखिम कारक नहीं होने के बावजूद कैंसर हो जाता है।

पित्ताशय की थैली के कैंसर की संभावना को बढ़ाने वाले कारक हैं:

  • पित्ताशय की थैली की पथरी
  • पित्त नली की जन्मजात असामान्यताएं जैसे कॉलेडोकल सिस्ट
  • क्रोनिक टाइफाइड संक्रमण
  • कैल्सिफाइड पित्ताशय की दीवार
  • मोटापा
  • पुरुषों की तुलना में महिलाओं को पित्ताशय का कैंसर होने का खतरा तीन गुना होता है
  • पित्ताशय पॉलीप्स
  • प्राइमरी स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस

पित्ताशय कैंसर के संकेत और लक्षण

पित्ताशय का कैंसर शुरुआती चरणों में लक्षणहीन हो सकता है। कभी-कभी पित्त की पथरी के लिए सर्जरी करते समय इसका पता चलता है या फिर सर्जरी के बाद निकाले गए पित्त की थैली की बायोप्सी में यह पाया जाता है। कई बार पेट की नियमित जांच के दौरान अल्ट्रासाउंड पर इसका पता चलता है। कभी कभी किसी अन्य बीमारी के लिए जब अल्ट्रासाउंड किया जाता है तो हमें यह मिल जाता है।

पित्ताशय के कैंसर के लक्षणों में शामिल हैं:

  • पेट में दर्द

  • वजन कम होना

  • भूख न लगना

  • पीलिया (आंखें, त्वचा और मूत्र का पीला होना)

  • मतली और उल्टी

  • पेट में गांठ

  • लगातार कमजोरी या थकान महसूस करना

ध्यान दें कि इनमें से कई लक्षण पित्ताशय के कैंसर के अलावा अन्य बीमारियों में भी हो सकते हैं।

पित्ताशय के कैंसर की जांच एवं परीक्षण (डायग्नोसिस)

डायग्नोसिस का मतलब है बीमारी की पहचान करना। निम्नलिखित परीक्षण हमें इस रोग की पहचान करने और बीमारी के चरण का पता लगाने में मदद करेंगे।

स्वास्थ्य और रक्त परीक्षण

एक चिकित्सक द्वारा लक्षणों को समझना और संकेतों की जांच करना बीमारी तक पहुंचने के लिए जरूरी है।

रक्त में विभिन्न प्रकार के तत्वों की जांच की जाती है। इसके अलावा, लिवर और किडनी के टेस्ट भी किए जाते हैं। कुछ रोगियों को कैंसर से पित्त नली अवरुद्ध होने के कारण पीलिया हो सकता है। हम ट्यूमर मार्कर CA 19.9 की भी जांच करते हैं।

इमेजिंग टेस्ट्स (स्कैन्स)

कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT) स्कैन: इस टेस्ट में मरीज को एक सीटी स्कैनर में रखा जाता है। फिर एक्स-रे की किरणें चारों तरफ से अंदरूनी अंगों की छवि लेती है। कंप्यूटर इन छवियों को विकसित कर हमें अंदरूनी स्थिति के बारे में सटीक जानकारी देते हैं। कंट्रास्ट का इंजेक्शन देने से हमें बेहतर छवि मिलती है।

पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी (PET) स्कैन: कैंसर कोशिकाएं ग्लूकोज ज्यादा मात्रा में लेती हैं। इस टेस्ट में रेडियोएक्टिव ग्लूकोज (18एफ-फ्लोरोडीऑक्सी; FDG) का इंजेक्शन देते हैं। यह रेडियोएक्टिव ग्लूकोज ट्यूमर में चला जाता है जिसे हम स्कैनर से देख सकते हैं।

मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI): एक्स-रे के बजाय यह टेस्ट रेडियो तरंगों, और शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्रों का उपयोग करता है।

बायोप्सी

बायोप्सी या साइटोलॉजी: बायोप्सी का अर्थ है कि ट्यूमर के एक छोटे से हिस्से का नमूना लेना और माइक्रोस्कोप के द्वारा इसकी जांच करना। यह एक पैथोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है। यदि आवश्यक हो तो बायोप्सी नमूनों पर जीन परीक्षण भी किया जा सकता है। अगर ऑपरेशन किया जा सकता है, तो बायोप्सी या FNAC की आम तौर पर ज़रूरत नहीं होती। बढ़े हुए कैंसर में कीमोथेरेपी/रेडियोथेरेपी शुरू करने से पहले डायग्नोसिस की पुष्टि करने के लिए हमेशा बायोप्सी की जाती है। यह बायोप्सी अल्ट्रासाउंड या सीटी मार्गदर्शन के द्वारा की जाती है।

पित्ताशय के कैंसर का प्रसार (चरण) निर्धारित करना (स्टेजिंग)

कैंसर की गांठ से कैंसर कोशिकाएं निकलती है और शरीर में तीन प्रकार से फैलती हैं;

  1. रक्त के माध्यम से
  2. लिंफेटिक के माध्यम से
  3. सीधे आसपास के उत्तकों में

कैंसर का फैलाव स्थानीय हो सकता है, आसपास के उत्तकों में और लिंफ नोड्स में। या दूरवर्ती हो सकता है, लिवर, फेफड़े और पेट के अंदर की परत (पेरीटोनियम) में। कैंसर जब दूर के अंगों में फैल जाता है तो उसे मेटास्टैसिस (metastasis) कहते हैं।

किसी भी कैंसर की गंभीरता या चरण का अनुमान यह देख कर लगाया जाता है कि यह कहाँ कहाँ फैला है। यह कितनी हद तक पित्ताशय और उसके आसपास के ऊतकों में फ़ैल चूका है और शरीर के अन्य आंतरिक अंगो में गया है की नहीं। इसे हम स्टेजिंग कहते हैं।

टेस्ट्स हमें कैंसर को एक चरण प्रदान करने में मदद करते हैं। मोटे तौर पर हम कैंसर को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं:

  1. स्थानीय - कैंसर उस अंग तक सीमित है जिसमें यह शुरू हुआ था।
  2. स्थानीय प्रसार - कैंसर आसपास के लिम्फ नोड्स में फैल गया है या उस अंग की दीवार से बाहर आ गया है जिसमें यह शुरू हुआ था।
  3. दूर तक फैला हुआ - कैंसर दूर के अंगों तक फैल गया है, जो ट्यूमर की उत्पत्ति के अंग से दूर है। इसे मेटास्टेसिस कहा जाता है।

TNM (ट्यूमर, नोड और मेटास्टेसिस) वर्गीकरण

इन जांचों के बाद, ट्यूमर को I से IV तक में से एक चरण दिया जाएगा। यह वर्गीकरण अमेरिकन जॉइंट कमेटी ऑन कैंसर (AJCC) द्वारा विकसित किया गया है। इसका उपयोग कैंसर की स्टेज के सटीक वर्गीकरण के लिए किया जाता है। यह निम्नलिखित तीन प्रमुख तत्वों पर आधारित है और स्टेज I से लेकर IV तक होता है।

  • ट्यूमर की माप (T): पित्ताशय की परतों में कैंसर कितनी दूर तक बढ़ गया है? क्या कैंसर आस-पास की संरचनाओं या अंगों तक पहुंच गया है?
  • पास के लिम्फ नोड्स (N) में फैला हुआ: क्या कैंसर पास के लिम्फ नोड्स में फैल गया है? और कितने लिंफ नोड्स में?
  • दूर के अंगों तक फैला हुआ (मेटास्टेसिस) (M): क्या कैंसर दूर के लिम्फ नोड्स या दूर के अंगों जैसे लिवर या फेफड़ों में फैल गया है?

टी, एन और एम के आगे संख्या और अक्षर लिखे जाते हैं जो और ज्यादा विवरण देते हैं। संख्या जितनी अधिक होती है कैंसर उतना ही बढ़ा हुआ होता है। टी, एन और एम से मिली जानकारी को मिलाकर हम कैंसर को एक चरण प्रदान करते हैं। कोलोरेक्टल कैंसर चरण I से IV तक होता है।

चरण I से III तक स्थानीयकृत रोग होता है और चरण IV फैला हुआ कैंसर (मेटास्टैटिक रोग) है।

पित्ताशय के कैंसर में हम ट्यूमर का आसपास की महत्वपूर्ण संरचनाओं जैसे पित्त नली और यकृत को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं के साथ संबंध भी देखते हैं।

कैंसर से उबरने की संभावना इलाज के समय कैंसर के चरण पर निर्भर करती है। जितना कम चरण उतनी बेहतर संभावना।

पित्ताशय के कैंसर का उपचार

पित्ताशय के कैंसर का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि इसका पता हमें किस चरण में चला है। उपचार के उद्देश्य से, इसे प्रारंभिक चरण या स्थानीयकृत बीमारी और देर से चरण या फैली हुई बीमारी में वर्गीकृत किया जा सकता है। उपचार के तरीकों में सर्जरी, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और रेडियोथेरेपी शामिल हैं।

प्रारंभिक अवस्था (स्थानीयकृत) रोग का उपचार

शुरुआत के चरणों के पित्ताशय के कैंसर का प्राथमिक उपचार सर्जरी है। यदि पित्ताशय के कैंसर का पता उस अवस्था में लग जाए, जब यह फैला नहीं है, तो सर्जरी द्वारा इसका इलाज किया जा सकता है। पित्ताशय के कैंसर के लिए सर्जरी को रेडिकल कोलेसिस्टेक्टोमी या एक्सटेंडेड कोलेसिस्टेक्टोमी कहा जाता है। इसमें पित्ताशय को हटाने के साथ-साथ उसके पास के लीवर को भी हटाया जाता है। आस-पास के लिम्फ नोड्स को भी निकाल  दिया जाता है। कभी-कभी ट्यूमर को पूरी तरह से हटाने के लिए लीवर के एक बड़े हिस्से को हटाने की आवश्यकता होती है, जिसे हेपेटेक्टोमी कहा जाता है। यदि पित्त नली कैंसर से ग्रसित है, तो उसे भी हटाने की आवश्यकता होती है।

सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी या कीमोथेरेपी + रेडिएशन दिया जाता है ताकि ठीक होने की संभावना को और बढ़ाया जा सके। कभी-कभी बढ़ी हुई बीमारी में कीमोथेरेपी या कीमोरेडियोथेरेपी सर्जरी से पहले दी जाती है, ताकि  ट्यूमर में कमी आने के बाद सर्जरी की जा सके।

बढ़े (फैले) हुए पित्ताशय के कैंसर का उपचार

कुछ रोगियों में बीमारी का पता बढ़ी हुई अवस्था में चलता है। पित्ताशय का कैंसर या तो अन्य अंगों में फैल चुका होता है या फिर यह आस-पास की महत्वपूर्ण अंगों को अपनी चपेट में ले चुका होता है और इसे शल्य चिकित्सा द्वारा हटाया नहीं जा सकता। ऐसी स्थिति में हम जड़ से इसके इलाज का लक्ष्य नहीं रख सकते। हम केवल जीवन को लम्बा कर सकते हैं और उसे आरामदायक बना सकते हैं। इसके लिए कीमोथेरेपी एवं इम्मुनोथेरपी का उपयोग किया जाता है।  यदि रोगी को पीलिया है तो अवरुद्ध पित्त नलिकाओं को खोलने के लिए एक  प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया परक्यूटेनियस ट्रांसहेपेटिक बिलियरी ड्रेनेज (PTBD) या एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलांगियोपैन्क्रिएटोग्राफी (ERCP) हो सकती है।

पित्ताशय के कैंसर के उपचार के तरीके

शल्य चिकित्सा
रेडिकल कोलेसिस्टेक्टोमी

यह पित्ताशय के कैंसर के लिए एक शल्य प्रक्रिया है। इसमें पित्ताशय के पास वाले लिवर के हिस्से को भी हटाया जाता है। पित्ताशय के क्षेत्र में लिम्फ नोड्स भी हटा दिए जाते हैं।

The parts encircled in blue line are removed.

कभी-कभी ट्यूमर को पूरी तरह से हटाने के लिए लीवर के एक बड़े हिस्से को हटाने की आवश्यकता होती है, जिसे हेपेटेक्टोमी कहा जाता है।

कीमोथेरेपी

कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग करती है। बेहतर परिणाम के लिए कई दवाओं को एक साथ दिया जाता है। इन्हें एक चक्र के रूप में विशिष्ट दिनों पर एक विशिष्ट क्रम में दिया जाता है।

Adjuvant chemotherapy: स्थानीयकृत कैंसर के रोगियों में, कीमोथेरेपी आमतौर पर सर्जरी के बाद दी जाती है। यह उन कोशिकाओं को नष्ट करती है जो ऑपरेशन के बाद भी शरीर में रह जाती हैं। इससे कैंसर की पुनरावृत्ति के जोखिम को कम करने में मदद करती है।

Neoadjuvant chemotherapy: यदि ट्यूमर अत्यधिक बढ़ गया है, तो सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी दी जाती है। इससे कैंसर छोटा हो जाएगा और बाद में ऑपरेशन से बेहतर परिणाम प्राप्त होगा।

Palliative chemotherapy: मेटास्टैटिक (फैले हुए) कैंसर में कीमोथेरेपी जिंदगी को बढ़ाती है और उसकी गुणवत्ता में सुधार करती है।

टार्गेटेड थेरेपी (Targeted therapy)

पदार्थ जो सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाए बिना कैंसर कोशिकाओं की पहचान करते हैं और उन पर लक्ष्य करते हैं।

Immunotherapy

यह कैंसर से लड़ने के लिए रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनिटी) का उपयोग करता है। इम्यून चेकपॉइंट इनहिबिटर थेरेपी इम्यूनोथेरेपी का एक प्रकार है।

विकिरण चिकित्सा (Radiation therapy)

विकिरण चिकित्सा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च ऊर्जा एक्स-रे का उपयोग करती है। पेट के कैंसर वाले लोग आमतौर पर बाहरी बीम (external beam) विकिरण चिकित्सा प्राप्त करते हैं, जो शरीर के बाहर एक मशीन से दिया जाने वाला विकिरण है। ट्यूमर के आकार को कम करने या किसी भी शेष कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए सर्जरी के पहले या बाद में विकिरण चिकित्सा का उपयोग किया जा सकता है।

पैलिएटिव (palliative) उपचार

पैलिएटिव उपचार लक्षणों से राहत देता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। यह तब दिया जाता है जब ट्यूमर बहुत उन्नत या प्रसारित होता है। बड़ी सर्जरी के लिए अनफिट मरीजों का भी पैलिएटिव इरादे से इलाज किया जाता है।

पित्ताशय के कैंसर का निदान (Prognosis)

सर्वाइवल रेट्स

पित्ताशय के कैंसर से पीड़ित जिन रोगियों का ऑपरेशन किया जाता है, उनके ठीक होने की दर (5 साल तक जीवित रहने की दर) 20%-30% होती है।

सतर्क रहें! स्वस्थ रहें! और खुश रहें!

About Author

Dr. Nikhil Agrawal
MS, MCh

This site helps you understand the disease process, best treatment options and outcome of gastrointestinal, hepatobiliary and pancreatic diseases and cancers. Dr. Nikhil Agrawal is Director of GI-HPB Surgery and Oncology at Max Superspeciality Hospital Saket, New Delhi and Max Hospital, Gurugram in India.