Hindi

अग्नाशय (पैंक्रियाज) का कैंसर
पैंक्रियाज में गाँठ
Pancreatic cancer in Hindi

अग्नाशय (पैंक्रियाज) का कैंसर

अग्नाशय (Pancreas)

अग्नाशय (पैंक्रियास) आपके पेट के ऊपरी हिस्से में अमाशय (पेट) के पीछे और रीढ़ की हड्डी के आगे स्थित एक अंग है। यह एक नरम ग्रंथि है जिसके चार हिस्से होते हैं, हेड, नेक, बॉडी, एंड टेल। हमारे शरीर की कई महत्वपूर्ण संरचनाएं जैसे कि लिवर को रक्त प्रदान करने वाली धमनी, छोटी आंत को रक्त प्रदान करने वाली धमनी, पोर्टल शिरा, स्प्लेनिक धमनी एवं शिरा इससे होकर गुजरती हैं। छोटी आंत का शुरुआती हिस्सा जिसे डुओडेनम कहते हैं, इससे बिल्कुल चिपका हुआ होता है। अग्नाशय का रस एक पतली नली द्वारा छोटी आंत में जाता है जिसे पैंक्रिअटिक डक्ट कहते हैं। अग्न्याशय के कई महत्वपूर्ण कार्य हैं। यह पाचन के लिए एंजाइम (एक्सोक्राइन फ़ंक्शन) और विभिन्न हार्मोन (एंडोक्राइन फ़ंक्शन) का उत्पादन करता है।

अग्नाशय का (पैंक्रिअटिक) कैंसर

कैंसर तब शुरू होता है जब कोशिका के डीएनए में कोई त्रुटि (म्यूटेशन) आ जाती है। ये कोशिकाएं फिर अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं और बढ़ती रहती हैं। ये अनियंत्रित कोशिकाएं मिलकर कैंसर बनाती हैं। अधिकांश अग्नाशय कैंसर एक्सोक्राइन फ़ंक्शन वाली कोशिकाओं में शुरू होता है। यह पहले अग्नाशय में फैलता है और फिर बढ़ कर आस पास के उत्तकों में फैल जाता है। बाद में ये जिगर (यकृत), फेफ़ड़े और पेरिटोनियम में फैल जाता है।

पैंक्रिअटिक कैंसर के कारण और जोखिम कारक (risk factors)

जिस किसी भी चीज से कैंसर होने का खतरा बढ़ता है, उसे जोखिम कारक कहते हैं। जोखिम कारक बीमारी करता नहीं है यह केवल जोखिम को बढ़ाता है। कुछ लोगों में कई जोखिम कारक होने के बावजूद कैंसर नहीं होता, जबकि कुछ लोगों को कोई जोखिम कारक नहीं होने के बावजूद कैंसर हो जाता है।

अग्नाशय के कैंसर की संभावना को बढ़ाने वाले कारक हैं:

  • वृद्धावस्था
  • धूम्रपान
  • मोटापा
  • अग्नाशय के कैंसर का पारिवारिक इतिहास
  • वंशानुगत बीमारियाँ (Multiple endocrine neoplasia type 1 (MEN1) syndrome, hereditary nonpolyposis colon cancer (HNPCC; Lynch syndrome), von Hippel-Lindau syndrome, Peutz-Jeghers syndrome, hereditary breast and ovarian cancer syndrome and familial atypical multiple mole melanoma (FAMMM) syndrome)
  • क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस (chronic pancreatitis)

अग्नाशय कैंसर के संकेत और लक्षण

पेट के बाकी कैंसर की तरह अग्नाशय के कैंसर के भी शुरुआती चरणों में सामान्यतः कोई लक्षण नहीं होते हैं। यह अक्सर शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने के बाद पकड़ में आता है । इससे इसका इलाज करना मुश्किल हो जाता है।

पित्ताशय के कैंसर के लक्षणों में शामिल हैं:

  • पीलिया (आंखें, त्वचा और मूत्र का पीला होना)

  • पेट में दर्द

  • वजन कम होना

  • भूख न लगना

  • हाल ही में शुरू हुआ मधुमेह (diabetes)

  • मतली और उल्टी

  • पेट में गांठ

  • लगातार कमजोरी या थकान महसूस करना

अग्नाशय का कैंसर अग्नाशय के हेड या अग्नाशय के बॉडी में हो सकता है। अग्नाशय के बॉडी में होने वाला कैंसर का ज़्यादा बढ़ी हुई अवस्था में ही पता चलता है क्योंकि इसमें लक्षण देर से आते हैं। अग्नाशय के हेड में होने वाला कैंसर आमतौर पर पित्त नली को दबा देता है जिससे पीलिया हो जाता है।

ध्यान दें कि इनमें से कई लक्षण कैंसर के अलावा अन्य मामूली बीमारियों में भी हो सकते हैं।

पैंक्रिअटिक कैंसर की जांच एवं परीक्षण (डायग्नोसिस)

डायग्नोसिस का मतलब है बीमारी की पहचान करना। निम्नलिखित परीक्षण हमें इस रोग की पहचान करने और बीमारी के चरण का पता लगाने में मदद करेंगे।

स्वास्थ्य और रक्त परीक्षण

एक चिकित्सक द्वारा लक्षणों को समझना और संकेतों की जांच करना बीमारी तक पहुंचने के लिए जरूरी है। रक्त में विभिन्न प्रकार के तत्वों की जांच की जाती है। इसके अलावा, लिवर और किडनी के टेस्ट भी किए जाते हैं। पित्त नली अवरुद्ध होने के कारण पीलिया हो सकता है जिससे बिलीरुबिन बढ़ जाता है। हम ट्यूमर मार्कर CA 19.9 की भी जांच करते हैं।

इमेजिंग टेस्ट्स (स्कैन्स)

कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT) स्कैन: इस टेस्ट में मरीज को एक सीटी स्कैनर में रखा जाता है। फिर एक्स-रे की किरणें चारों तरफ से अंदरूनी अंगों की छवि लेती है। कंप्यूटर इन छवियों को विकसित कर हमें अंदरूनी स्थिति के बारे में सटीक जानकारी देते हैं। कंट्रास्ट का इंजेक्शन देने से हमें बेहतर छवि मिलती है। अग्नाशय कैंसर में ट्रिपल फेज, थिन कट एवं हाई रेसोलुशन स्कैन करना होता है।

पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी (PET) स्कैन: कैंसर कोशिकाएं ग्लूकोज ज्यादा मात्रा में लेती हैं। इस टेस्ट में रेडियोएक्टिव ग्लूकोज (18एफ-फ्लोरोडीऑक्सी; FDG) का इंजेक्शन देते हैं। यह रेडियोएक्टिव ग्लूकोज ट्यूमर में चला जाता है जिसे हम स्कैनर से देख सकते हैं।

मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI): एक्स-रे के बजाय यह टेस्ट रेडियो तरंगों, और शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्रों का उपयोग करता है।

बायोप्सी

बायोप्सी का अर्थ है कि ट्यूमर के एक छोटे से हिस्से का नमूना लेना और माइक्रोस्कोप के द्वारा इसकी जांच करना। यह एक पैथोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है। यदि आवश्यक हो तो बायोप्सी नमूनों पर जीन परीक्षण भी किया जा सकता है। अगर ऑपरेशन किया जा सकता है, तो बायोप्सी या FNAC की आम तौर पर ज़रूरत नहीं होती। बढ़े हुए कैंसर में कीमोथेरेपी/रेडियोथेरेपी शुरू करने से पहले डायग्नोसिस की पुष्टि करने के लिए हमेशा बायोप्सी की जाती है। यह बायोप्सी एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड, अल्ट्रासाउंड या सीटी मार्गदर्शन के द्वारा की जाती है।

अग्नाशय के कैंसर का प्रसार (चरण) निर्धारित करना (स्टेजिंग)

कैंसर की गांठ से कैंसर कोशिकाएं निकलती है और शरीर में तीन प्रकार से फैलती हैं;

  1. रक्त के माध्यम से
  2. लिंफेटिक के माध्यम से
  3. सीधे आसपास के उत्तकों में

कैंसर का फैलाव स्थानीय हो सकता है, आसपास के उत्तकों में और लिंफ नोड्स में। या दूरवर्ती हो सकता है, लिवर, फेफड़े और पेट के अंदर की परत (पेरीटोनियम) में। कैंसर जब दूर के अंगों में फैल जाता है तो उसे मेटास्टैसिस (metastasis) कहते हैं।

किसी भी कैंसर की गंभीरता या चरण का अनुमान यह देख कर लगाया जाता है कि यह कहाँ कहाँ फैला है। यह कितनी हद तक अग्नाशय और उसके आसपास के ऊतकों में फ़ैल चूका है और शरीर के अन्य आंतरिक अंगो में गया है की नहीं। इसे हम स्टेजिंग कहते हैं।

इमेजिंग टेस्ट्स (स्कैन्स) हमें कैंसर को एक चरण प्रदान करने में मदद करते हैं। मोटे तौर पर हम कैंसर को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं:

  1. स्थानीय - कैंसर उस अंग तक सीमित है जिसमें यह शुरू हुआ था।
  2. स्थानीय प्रसार - कैंसर आसपास के लिम्फ नोड्स में फैल गया है या उस अंग की दीवार से बाहर आ गया है जिसमें यह शुरू हुआ था।
  3. दूर तक फैला हुआ - कैंसर दूर के अंगों तक फैल गया है, जो ट्यूमर की उत्पत्ति के अंग से दूर है। इसे मेटास्टेसिस कहा जाता है।

अग्नाशय कैंसर में हम ट्यूमर का आसपास की महत्वपूर्ण संरचनाओं जैसे रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं के साथ संबंध भी देखते हैं।

पैंक्रिअटिक कैंसर को ऑपरेशन द्वारा हटाने की संभावना और सफलता इस बात पर निर्भर करती है की वह आस पास की रक्त वाहिनियों से कितना सटा हुआ है।

TNM (ट्यूमर, नोड और मेटास्टेसिस) वर्गीकरण

इन जांचों के बाद, ट्यूमर को I से IV तक में से एक चरण दिया जाएगा। यह वर्गीकरण अमेरिकन जॉइंट कमेटी ऑन कैंसर (AJCC) द्वारा विकसित किया गया है। इसका उपयोग कैंसर की स्टेज के सटीक वर्गीकरण के लिए किया जाता है। यह निम्नलिखित तीन प्रमुख तत्वों पर आधारित है और स्टेज I से लेकर IV तक होता है।

  • अग्नाशय के कैंसर की माप (साइज़) कितनी है? क्या कैंसर आस-पास की संरचनाओं या अंगों तक पहुंच गया है?
  • पास के लिम्फ नोड्स (N) में फैला हुआ: क्या कैंसर पास के लिम्फ नोड्स में फैल गया है? और कितने लिंफ नोड्स में?
  • दूर के अंगों तक फैला हुआ (मेटास्टेसिस) (M): क्या कैंसर दूर के लिम्फ नोड्स या दूर के अंगों जैसे लिवर या फेफड़ों में फैल गया है?

टी, एन और एम के आगे संख्या और अक्षर लिखे जाते हैं जो और ज्यादा विवरण देते हैं। संख्या जितनी अधिक होती है कैंसर उतना ही बढ़ा हुआ होता है। टी, एन और एम से मिली जानकारी को मिलाकर हम कैंसर को एक चरण प्रदान करते हैं। पैंक्रिएटिक कैंसर चरण I से IV तक होता है। चरण I से III तक स्थानीयकृत रोग होता है और चरण IV फैला हुआ कैंसर (मेटास्टैटिक रोग) है।

कैंसर से उबरने की संभावना इलाज के समय कैंसर के चरण पर निर्भर करती है। जितना कम चरण उतनी बेहतर संभावना।

अग्नाशय के कैंसर का उपचार

अग्नाशय के कैंसर का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि इसका पता हमें किस चरण में चला है। उपचार के उद्देश्य से, इसे प्रारंभिक चरण या स्थानीयकृत बीमारी और देर से चरण या फैली हुई बीमारी में वर्गीकृत किया जा सकता है। उपचार के तरीकों में सर्जरी, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और रेडियोथेरेपी शामिल हैं।

प्रारंभिक अवस्था (स्थानीयकृत) रोग का उपचार

शुरुआत के चरणों के अग्नाशय के कैंसर का प्राथमिक उपचार सर्जरी है। यदि अग्नाशय के कैंसर का पता उस अवस्था में लग जाए, जब यह फैला नहीं है, तो सर्जरी द्वारा इसका इलाज किया जा सकता है। यदि पीलिया बहुत अधिक है, तो एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलांगियोपैन्क्रिएटोग्राफी (ERCP) एवं स्टेंटिंग नामक प्रक्रिया करके सर्जरी से पहले पीलिया को कम किया जाता है।

सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी या कीमोथेरेपी + रेडिएशन दिया जाता है ताकि ठीक होने की संभावना को और बढ़ाया जा सके। बॉर्डरलाइन रेसेक्टेबल (borderline resectable) या लोकली एडवांस्ड (locally advanced) बीमारी में कीमोथेरेपी या कीमोरेडियोथेरेपी सर्जरी से पहले दी जाती है, ताकि ट्यूमर में कमी आने के बाद सर्जरी की जा सके।

बढ़े (फैले) हुए अग्नाशय के कैंसर का उपचार

कुछ रोगियों में बीमारी का पता बढ़ी हुई अवस्था में चलता है। अग्नाशय का कैंसर या तो अन्य अंगों में फैल चुका होता है या फिर यह आस-पास की महत्वपूर्ण अंगों को अपनी चपेट में ले चुका होता है और इसे शल्य चिकित्सा द्वारा हटाया नहीं जा सकता। ऐसी स्थिति में हम जड़ से इसके इलाज का लक्ष्य नहीं रख सकते। हम केवल जीवन को लम्बा कर सकते हैं और उसे आरामदायक बना सकते हैं। इसके लिए कीमोथेरेपी एवं इम्मुनोथेरपी का उपयोग किया जाता है। यदि रोगी को पीलिया है तो अवरुद्ध पित्त नलिकाओं को खोलने के लिए एक प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलांगियोपैन्क्रिएटोग्राफी (ERCP) या परक्यूटेनियस ट्रांसहेपेटिक बिलियरी ड्रेनेज (PTBD) हो सकती है।

पैंक्रिअटिक कैंसर के उपचार के तरीके

शल्य चिकित्सा

अग्नाशय के कैंसर के लिए सर्जरी ट्यूमर के स्थान पर निर्भर करती है। अग्नाशय के हेड के कैंसर के लिए व्हिपल ऑपरेशन किया जाता है जिसे पैंक्रियाटिकोडुओडेनेक्टॉमी भी कहा जाता है । अग्नाशय के बॉडी एंड टेल के कैंसर के लिए डिस्टल पैंक्रियाटेक्टॉमी की जाती है।

कीमोथेरेपी

कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग करती है। बेहतर परिणाम के लिए कई दवाओं को एक साथ दिया जाता है। इन्हें एक चक्र के रूप में विशिष्ट दिनों पर एक विशिष्ट क्रम में दिया जाता है।

  • Adjuvant chemotherapy: स्थानीयकृत कैंसर के रोगियों में, कीमोथेरेपी आमतौर पर सर्जरी के बाद दी जाती है। यह उन कोशिकाओं को नष्ट करती है जो ऑपरेशन के बाद भी शरीर में रह जाती हैं। इससे कैंसर की पुनरावृत्ति के जोखिम को कम करने में मदद करती है।
  • Neoadjuvant chemotherapy: यदि ट्यूमर अत्यधिक बढ़ गया है, तो सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी दी जाती है। इससे कैंसर छोटा हो जाएगा और बाद में ऑपरेशन से बेहतर परिणाम प्राप्त होगा।
  • Palliative chemotherapy: मेटास्टैटिक (फैले हुए) कैंसर में कीमोथेरेपी जिंदगी को बढ़ाती है और उसकी गुणवत्ता में सुधार करती है।

टार्गेटेड थेरेपी (Targeted therapy)

पदार्थ जो सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाए बिना कैंसर कोशिकाओं की पहचान करते हैं और उन पर लक्ष्य करते हैं।

इम्मुनोथेरपी (Immunotherapy)

यह कैंसर से लड़ने के लिए रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनिटी) का उपयोग करता है। इम्यून चेकपॉइंट इनहिबिटर थेरेपी इम्यूनोथेरेपी का एक प्रकार है।

विकिरण चिकित्सा (Radiation therapy)

विकिरण चिकित्सा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च ऊर्जा एक्स-रे का उपयोग करती है। पेट के कैंसर वाले लोग आमतौर पर बाहरी बीम (external beam) विकिरण चिकित्सा प्राप्त करते हैं, जो शरीर के बाहर एक मशीन से दिया जाने वाला विकिरण है। ट्यूमर के आकार को कम करने या किसी भी शेष कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए सर्जरी के पहले या बाद में विकिरण चिकित्सा का उपयोग किया जा सकता है।

पैलिएटिव (palliative) उपचार

पैलिएटिव उपचार लक्षणों से राहत देता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। यह तब दिया जाता है जब ट्यूमर बहुत उन्नत या प्रसारित होता है। बड़ी सर्जरी के लिए अनफिट मरीजों का भी पैलिएटिव इरादे से इलाज किया जाता है।

अग्नाशय के कैंसर के लिए सर्जरी

पैंक्रिअटिक हेड के कैंसर के लिए सर्जरी

व्हिपल प्रक्रिया, जिसे पैन्क्रियाटिकोडुओडेनेक्टॉमी के नाम से भी जाना जाता है , अग्नाशय के हेड के कैंसर के इलाज के लिए एक जटिल ऑपरेशन है। इसमें अग्नाशय का हेड, छोटी आंत का पहला भाग (डुओडेनम), पित्ताशय और पित्त नली को आस-पास के लिम्फ नोड्स के साथ हटा दिया जाता है। इसके बाद, अग्नाशय, पित्त नली और पेट के कटे हुए सिरे को छोटी आंत से जोड़कर आंतों की निरंतरता को बहाल किया जाता है।

पैंक्रिअटिक बॉडी एंड टेल के कैंसर के लिए सर्जरी

अग्नाशय के बॉडी और टेल के ट्यूमर के लिए डिस्टल पैंक्रियाटिकोस्प्लेनेक्टोमी की जाती है। इसमें पैंक्रियास के ट्यूमर वाले हिस्से को आस पास के लिम्फ नोड्स के साथ हटा दिया जाता है।

पैंक्रिअटिक कैंसर के ऑपरेशन करने के दो तरीके हैं;

  1. ओपन सर्जरी: ओपन सर्जरी में, पेट में एक लंबा चीरा लगाकर ऑपरेशन किया जाता है।
  2. मिनिमली इनवेसिव सर्जरी: इसमें लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक पद्धति शामिल है, जिसमें सर्जरी के लिए छोटे चीरे और विशेष लंबे पतले सर्जिकल उपकरणों का उपयोग किया जाता है। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी का अर्थ है "कम दर्द", "न्यूनतम निशान" और "तेज़ रिकवरी"। आईसीयू और अस्पताल में कम रहना पड़ता है। बड़े मॉनिटर पर पेट के अंदर का दृश्य बड़ा होने के कारण सर्जरी के दौरान रक्त स्राव कम होती है। आप जल्दी से चलना और मुँह से खाना शुरू कर सकते हैं। ओपन सर्जरी की तुलना में इन्फेक्शन और हर्निया का खतरा भी कम होता है।

अग्नाशय के कैंसर के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में सर्जन मरीज के पास खड़े होकर सर्जिकल उपकरणों को हाथों से संचालित करते हैं।

अग्नाशय के कैंसर के लिए रोबोटिक सर्जरी

रोबोटिक सर्जरी

यहाँ रोगी और सर्जन के बीच एक रोबोटिक इंटरफ़ेस आ जाता है। सर्जन एक कंसोल पर बैठता है, और रोबोट, सर्जन के हाथों की गतिविधियों को शल्य चिकित्सा उपकरणों में स्थानांतरित करता है। रोबोटिक सर्जरी, सर्जन के कौशल और विशेषज्ञता को रोबोटिक तकनीक की दृष्टि, सटीकता और लचीलेपन के साथ जोड़ती है।

पैंक्रिअटिक कैंसर का निदान (Prognosis)

सर्वाइवल रेट्स

कैंसर के इलाज के बाद जीवित रहने की संभावना को 5-साल सर्वाइवल रेट्स (5-year survival rates) में मापा जाता है। यह इलाज के बाद कैंसर से छुटकारा पाने और जीवित रहने की संभावना को दर्शाता है। सर्वाइवल रेट कैंसर के प्रकार और स्टेज पर निर्भर करता है।

नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, पैंक्रिएटिक कैंसर का पता चलने के बाद कम से कम पांच साल तक जीवित रहने वाले लोगों का प्रतिशत अग्नाशय में स्थानीय कैंसर के लिए 44 %, क्षेत्रीय स्तर पर फैलने वाले कैंसर के लिए 16.2% और दूर तक फैले कैंसर के लिए 3.1% है।

सतर्क रहें! स्वस्थ रहें!

About Author

Dr. Nikhil Agrawal
MS, MCh

This site helps you understand the disease process, best treatment options and outcome of gastrointestinal, hepatobiliary and pancreatic diseases and cancers. Dr. Nikhil Agrawal is Director of GI-HPB Surgery and Oncology at Max Superspeciality Hospital Saket, New Delhi and Max Hospital, Gurugram in India.